रांची के समीपवर्ती खूंटी जिले के तोरपा में एक शिव मंदिर भक्तों के बीच अपनी पौराणिक मान्यताओं को लेकर खासा चर्चा में है। यहां विराजमान शिवलिंग भक्तों की रक्षा कवच की तरह करता है। तोरपा के इस प्राचीन शिव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मंदिर के सामने से आज तक कोई अर्थी या डोली नहीं गुजरी। ग्रामीणों का ऐसा मानना है कि कोई डोली या कोई अर्थी मंदिर के सामने से गुजरने पर संबंधित लोगों पर बड़ी विपत्ति आन पड़ती है।
इस इलाके में आदिवासियों को छोड़कर किसी अन्य जाति या उपजाति के घर-मकान भी नहीं हैं। गांव वाले इसे भी किसी अनहोनी से जोड़कर देखते हैं। हाल के दिनों तक खपरैलनुमा इस मंदिर का अभी जीर्णोद्धार कराया गया है। तोरपा के उकड़ीमाड़ी ग्राम पंचायत के ईचा लुदमकेल गांव का यह शिव मंदिर सैंकड़ों वर्ष पुराना बताया गया है।
कि आदिवासी छोड़कर दूसरी जाति के कई लोगों ने यहां घर बनाने की कोशिश की, लेकिन किसी कारणवश उनका मकान पूरा नहीं हो पाया। यहां शिव मंदिर की पूरी व्यवस्था आदिवासी ही संभालते हैं। भगवान शिव की विधि-विधान से नियमित पूजा-पाठ के लिए आदिवासियों ने अपने बीच से पुजारी भी बहाल कर रखा है।
साभार - जेएनएन