कमलनाथ सरकार के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में सीटों का आंकड़ा 206 पहुंच गया है। मौजूदा समय में भाजपा के पास 106 और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के बाद राज्य की राज्यसभा सीटों का गणित काफी हद तक साफ हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे से सिर्फ कमलनाथ सरकार ही नहीं गिरी है, बल्कि उनके 22 करीबी विधायकों के इस्तीफे की वजह से कांग्रेस राज्यसभा में एक आसान सीट भी गंवा सकती है। इसी बीच भाजपा एक बार फिर अपनी दोनों सीटों को बचाए रखने में सफल होगी।
मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को वोटिंग होगी। राज्य में राजनीतिक उठापटक से पहले किसी भी उम्मीदवार को सीट जीतने के लिए 58 प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत थी। तब कांग्रेस के पास 114 विधायक थे और उसके पास निर्दलीय, सपा और बसपा विधायकों का समर्थन भी था। ऐसे में उसके पास राज्यसभा में दो सीटें जीतने का आसान मौका था। वहीं, भाजपा के पास राज्य में 107 विधायक थे, यानी वह बिना विधायकों को तोड़े सिर्फ एक ही सीट जीत सकती थी।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने सिंधिया गुट के 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकृत कर लिए। वे पहले ही 6 कैबिनेट मंत्रियों को भी पद से हटा चुके थे। ऐसे में 230 सीटों वाली विधानसभा (जिसमें दो सीटें पहले से ही खाली हैं) में विधायकों की संख्या 206 ही रह गई। मौजूदा समय में भाजपा के पास 106 और कांग्रेस के 92 विधायक हैं। इसके अलावा सपा के एक, बसपा के दो और चार निर्दलीय विधायक हैं।